Wednesday, July 31, 2013

हसरतें

आते थे
वहाँ से भी
रास्ते
मेरे दिल को
जहाँ
जाते नहीं थे

हसरतों का मेरी
खैरमकदम
हर जगह पे था ।

कलम

खूँ रेज़
है ज़रूर,
बेदर्द
नहीं है

बस जान लेती है
कलम
कोई रंजिश नहीं है

Tuesday, July 30, 2013

जेब-ए-क़फ़न

जेब-ए-क़फ़न से
निकाल लो
रुपये पैसे,
कुछ डौलर
डाल दो

कौन जाने
बाज़ारो दोज़ख़
कौन सी
करंसी चले

तलाश

उठा रखी थी
दुनिया
जिन्होंने
सर पर,
दुनिया में रहने के लिये
और दिन चार,

बैठे हैं
वही
ग़मग़ीन
कूचा-ए-हैरानगी
तलाश-ए-मक़सद में

जाम-ए-शायरी

करते हो पेश
सरे सहर,
जाम-ए-शायरी !

क्यों करते हो
मयख़्वार
को खराब
शब से पेश्तर

वसीयत

गर करता है
कोई
मेरे शेरो दीवान
की वसीयत
का दावा

दे दीजिये
सब उसे,
कलम छोड़ कर

अधूरे बुत

अब
जब यकीनी है,
नहीं है
हमेशा के लिये
इजाज़त-ए-ज़िंदगी
क्यों न छोड़ दें
सब अधूरे बुत,
मौज को सिजदा
और
साँसों को नमाज़
समझ लें

इरादे

इरादे
किये थे
जो
सुकून-ए-सबा-ए-साहिल पे
सीना तान के

क्या ख़्याल है
जनाब का
लहरो-साग़रे-उफ़ान में 

दोज़ख़

होगी
इस कदर
बदइंतज़ामी
वादाखिलाफ़ी
दोज़ख़ में
सोचा न था,

न दर्द-ए-फ़ना
उस कदर,
न बेकरारी,
न दग़ा वो खाया हुआ ।

शिकायत

शिकायत रही
ता-उम्र,
जद्दोज़हद की
गर्मी बहुत है

हूँ सुकून से
अब
उम्रे साहिल,
पड़ा हूँ
बर्फ़ की सिल्ली पर।

Monday, July 29, 2013

बस्तियाँ

जो झूमते दरिया
न हों,
सैलाब हों

ऐसी बस्तियाँ
नहीं बसती,
बह जाती हैं

कत्लेआम

यूँ पकड़िये
कलम,
जज़बात,
अंदाज़े बयाँ,
यूँ चलाइये

ख़ुद की क़ज़ा
यकीनी हो
कत्लेआम
के बाद

दो शेर

बख़्श दी जान
और दिन चार
अहबाब-ए-अज़ीम नें

लिख लूँ
दो शेर और
सबको सुना लूँ

आदम

ऊपर से
जो दिखता है
वो आदम नहीं होता,

अंदर से
जो होता है
बादम होता है।

कारवाँ

अंदाज़-ए-बयाँ
की फ़िराक़
में भटकते हैं
लफ़्ज़ों
के कारवाँ,

जहाँ मिल जायें
वहाँ
शहरो मीनार बसते हैं ।

हद

शायर से
उम्मीद
रखने से पेश्तर
बेहतर होगा
आप
हालात से कहें
कि
हद में रहें।

Sunday, July 28, 2013

ज़िद

ज़िद
छोड़ दीजिये
हर सवाल
के
जवाब की

जैसे
हर जवाब
सवाल की
फिक़्र नहीं करता ।

तैयारी

ज़िंदगी की छोड़िए
ख़ुद ब ख़ुद
जी लेगी।

मौत की
सब तैयारी है
ज़रा शान से।

वक्त

पूछते हैं वो
कि
वक्त क्या हुआ,

कोई पूछे
वक्त में
मेरा क्या हुआ ।

Saturday, July 27, 2013

एक से

एक बार
कहीँ भी
कैसे भी
काट ले जो
कोई साँप
सभी जंगल
एक से ही
लगते हैं.


सुकून

उबल कर
भाप बनने को
आमादा होगी
जब जब दुनिया

सुकून-ए-शायरी
आएगी
कहीं से,
बरस जायेगी

आस

अगरचे जानता हूँ
नहीं है
कुछ मतलब
ज़िंदगी का

इक आस है
जागती रात से,
सो उम्मीद से हूँ।

पाँव

देख तो लूँ
कहीं उल्टे न हों
पाँव
नाज़नीन के

पहले
सम्भाल लूँ
डगमगाते हौसले
खुदकुशी के

Friday, July 26, 2013

खिड़की

आँखों की खिड़की
में बैठी
झाँकती रही
ता-उम्र
रुह-ए-पाक़

उतरी तभी
जब बंद हुईं
और धुँआ उठने लगा।

इंतज़ार

रास्ते भटकने से
नहीं डर
किस्मत के खोने का

वहीं है
इंतज़ार में वो
जहाँ
भटका रही है

कागज़ का खुदा

जब से दुनिया
पहचानने लगी
कागज़ों से मुझे
कागज़ को
खुदा
बना बैठा,

पहली बरसात में
भीगा जो मेरा खुदा,
सरे बाज़ार
फिर
यतीम हो गया

Wednesday, July 24, 2013

भू स्खलन

जब तक
जो कुछ गिरना है
गिर नहीं जाता,

भू स्खलन
जीवन का
ख़त्म नहीं होता
जानता हूँ।

अमीरी

तारों की
महफ़िल में,
आँखों में
नींद से भरा जाम....

क्यों न खुद की
अमीरी पे
खुमार आये....

गुम

जब जब
ज़िन्दगी में
कुछ गुम  हुआ
अंदर का  कुत्ता
सूंघ कर
ढूंढ़ लाया।

ये
इस बार
क्या गुम हुआ
जो
वो
है तैयार
भटकने को
ताउम्र

तूफ़ान

बाहर
तूफ़ान
चल रहा है।

बंद दरवाज़ों में
रजाई में
दुबका हूँ।

जिनके पास
घर
या
घरों के दरवाज़े नहीं,
कहाँ
क्या करते होंगे
सोच रहा हूँ।

बारिश

कब्र में
मुद्दत बाद
फिर वही
सोंधी सोंधी सी
मिट्टी की महक
आई है,

कुछ बूँदें
रिसी हैं।

लगता है
बाहर बारिश हुई है।

चादर

बहुत देर
मेरी आखों में
देखने के बाद,

वो सारे लफ़्ज़,
पलटे पन्नों
की चादर ओढ़,
सो गये ।

उदासी

जन्नत
में रहने वाले
जब जब
उदास हो जाते हैं,

जाकर
दोज़क हो आते हैं

चारा

सड़क किनारे
बैठी
क्या सोचती है
वो गाय?

कोई चारा नहीं
अगले जन्म
के इंतज़ार
के सिवा॰॰॰॰॰॰

बेताबी

भटके हुए
अभी
बहुत वक्त
तो हुआ न था,

फिर क्यों
ढूँढते हुए
बेताब मंज़िलें
मुझ तक
आ गयीं

दर्द

मारने से डरता हूँ
पत्थर आइने पे

ख़ुद को लगने से ज़्यादा
कहीं दर्द न हो
मेरे अक्स को 

कारोबार

कौन मिलता है
कभी
कहीं
किसी को
गोया कारोबार के सिवा

लौटाना होगा
कभी कुछ लिया हुआ,
लेना होगा
कहीं कुछ
लौटाने के लिये।

बेरुख़ी

कर्ज़ न सही
एहसान ही सही
कुछ तो लिल्लाह दीजिये
इंकार ही सही।

वफ़ा न हो मुमकिन
जफ़ा नामंज़ूर
बेरुख़ी हो आसान
बेरुख़ी ही सही

नीयत

बला की ढूँढती है
नीयत बला को -

टालने वाली
उतारने वाली
रूठने वाली 

गिटार

कौन सी गिटार खरीदूँ
जो बजानी आसान हो
जल्दी आ जाये

फिर सोचता हूँ
जो अंदर बजती है
बज रही है
बेहतर है
अच्छी है