Sunday, January 20, 2013

कष्ट

"आपने क्यों कष्ट किया
हमें बुला लिया होता ।"

पैंतीस साल पहले
ज़मीन में गाड़े गये
अब तक गल सड़ गये
नोटों और सिक्कों ने
ऊपर दफ़नाए जा रहे
अपने मियाँ जी से
अदब से पूछा ।

Friday, January 11, 2013

टीला

दसवीं पास
निखट्टू
जगोता
देर सवेरा
जागा
और नाश्ता कर
जूते पहन
गाँव की गलियों से
कुत्तों के पीचे पीछे
टीले के पास वाले
मैदान में
दोस्तों से
फुटबॉल खेलने
जा पहुँचा । 

आज
मैदान में
सब कुछ बदला बदला था । 

फुटबाल के बिना ही
दर्जनों लड़के
फौजियों से घिरे
दौड़
कूद
रेंग रहे थे ।

जगोता को भी
दौड़ना
कूदना
रेंगना
फुटबाल से ज़्यादा पसंद था ।

वो टीले से कूदा
भागता हुआ
मैदान में उतरा
पहले फौजी को अपना नाम लिखवा
तेज़ भागा
ऊँचा कूदा
और फ़टाफ़ट रेंगकर
सबसे पहले
पार पहुँच गया ।

"चलिये, ट्रक में बैठिये"
फ़ौजी ने
जगोता को
बाजू से पकड़ते हुए कहा ।

"किस लिए?
मैंने क्या किया?"
जगोता घबराया
और बड़बड़ाया ।

"आप फ़ौज में
भर्ती किये जाते हैं।"
फ़ौजी बोला ।

जगोता
तिलमिलाया
छटपटाया
गिड़गिड़ाया
रोया
पर
उसे जाना पड़ा ।

२८ साल बाद
२ मैडेल
४ युद्ध
१७६ मुठभेड़
९०८० गोलियों
५६ दुश्मनों को गिरानें के बाद
आज
रिटायर्ड सुबेदार जगोता
गाँव लौटते
उसी टीले से लिपट
बिलख बिलख रोया
और अपनें दोनों मैडेल
उसे पहना
घर लौट गया ।

Friday, January 4, 2013

नानी


रेस्तरां में
बगल की मेज़ पर
मम्मी पापा
और भाई के साथ बैठी
नन्हीं सी
प्यारी
गोल मटोल
बच्ची की
तोतली ज़ुबान की
कैंची जैसी
प्यारी बातों ने
मेरे कानों को कुतरा
और नज़रों को
खींचा ।

लटकते गालों वाली
कुछ मोटी
और नाटी
परी को देखनें
मेरे होटों की मुंडेर पर
मुस्कुराहटें दौड़ी चली आईं

और
पीछे
नीचे
अंदर
बुझे बुझे से
दिल के
गहरे कमरे में
हज़ार वाट के
सौ बल्ब
जल उठे ।

तभी
मन ही मन
हँसते हँसते
मेरे दिल में
एक शरारती ख़याल आया

"बड़ी होकर
बूढ़ी होकर
ये बच्ची
कितनी प्यारी
क्यूट
बूढ़िया नानी दिखेगी ।"

ये सोचकर
दबे पाँव
मैंने
फिर से
एक नज़र
उस गुड़िया को देखा ।

मैं
अभी देख ही रहा था
अभी खुश हो ही रहा था
कि दिल बीच में ही
फिर बोल पड़ा

"पता नहीं
यह बच्ची
सही सलामत
तब तक
इतनी दूर
वक्त के उतने पहाड़
लाँघ भी पायेगी
इस देश में ?"