साँसों की तितलियाँ
Thursday, August 25, 2016
यक़ीन
कौन करेगा,
आईने!
तेरे इल्ज़ामों पे यक़ीन!
यहाँ हर कोई
संवारता है
मुखौटा
दीवारों के पीछे।
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