Friday, August 5, 2016

मदद

उफनते दरिया में
डुबो कर ही
नाख़ुदा ने
दम लिया,

मैं कहता रहा
मैं खुश हूँ
इस ओर,
मदद की ज़िद में
उसने एक न सुनी।

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