ज्वारभाटे से जोश के तीर इरादे की कमान पर सम्मोहन की प्रत्यंचा चढ़ा तैयार तो थे करने अपनी बुराइयों का दहन क्षणभंगुर आत्म निरीक्षण के रावण,
लक्ष्य की पहचान की अनभिज्ञता के असमंजस में किंकर्तव्यविमूढ़ता नें क्षत्रिय अहम् लाचार कर दिया।
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