Saturday, October 15, 2016

दिल की बात

तू जानता है
मेरे दिल की बात
ओ चाँद!
आज छत पर
बस एक मैं हूँ एक तू है!

ये किस इम्तिहान में
गिरफ़्त हूँ
ज़मीं पर,
खुले आसमाँ में तू है!

No comments:

Post a Comment