साँसों की तितलियाँ
Friday, October 21, 2016
जल
सूरज
पूरब के क्षितिज में था
और मैं
पहली मन्ज़िल पर,
चौथी मन्ज़िल
के पड़ोसी ने
जल उसे चढ़ाया,
चढ़ा मुझे!
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment