ख़ामोश पर्बतों पर ग्लेशियरों के सफ़ेद कम्बलों से रिसती महावृंद बूँदों की ख़ामोशी तिब्बत किन्नौर की गलियों में सतलुज बन क्या पुरज़ोर गूँजती है!
दुनिया समझती है जिसे हज़ारों बरस से नदी हाथ पकड़े अदृश्य बेटियों की ब्रह्माण्डीय टोली है!
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