Tuesday, October 18, 2016

नदी

ख़ामोश पर्बतों पर
ग्लेशियरों के सफ़ेद कम्बलों से रिसती
महावृंद बूँदों की ख़ामोशी
तिब्बत किन्नौर की गलियों में
सतलुज बन
क्या पुरज़ोर गूँजती है!

दुनिया समझती है जिसे
हज़ारों बरस से नदी
हाथ पकड़े अदृश्य बेटियों की
ब्रह्माण्डीय टोली है!

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