साँसों की तितलियाँ
Monday, October 17, 2016
सरे आम
सरे आम
चौराहे पर
पेड़ से
टाँग दिए
सुबह सुबह
बाज़ार में,
तालिबान थे
इन्सां
उन
बेबस
केलों की
नज़र में!
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