भटकन तेरी
कहीं
पहुँच जाने का
पैग़ाम देती है,
तू
कहाँ है
पूछ तो ज़रा
रास्तों के
वादों से!
इस
ख़ुशफ़हमी
से उभरो
कि दुनिया देखती है तुम्हें,
देखती है वो तुममे
एक हसीन दीवार
लगाने को
अपनी गुमशूदगी के पर्चे
गर इजाज़त मिले!
पूछा जो
मज़दूर के बेटे नें
कुछ बरसों में
तो, हे ईश्वर!
क्या कहोगे
कि राजाओं के घर
जन्म की
कतार अलग है!
आपका
इंतकाल हो गया
और हमें
किसी नें
बताया भी नहीं!
आपकी
किस्सा गोई तो
बेशर्मी से
जगा देती थी हमें
नींद से भी!
उखाड़ो तो ज़रा
यहाँ से
सड़क,
होगी
अभी भी यहीं
वो जड़,
कट जाने के बाद तना
कहीं कहे न
किसी ने पूछा नहीं!
जब भी दिखता है
सामने से आता
कोई एनफ़ील्ड रॉयल,
कर धीमे कार की रफ़्तार
झुका खिड़की की पताका
देता हूँ अवधान* की सलामी
करते तृप्त
कानों के हवनकुण्ड
बादलों सी गर्जना से!
*attention
Dedicated to Knight Riders