साँसों की तितलियाँ
Saturday, January 21, 2017
समझदारियाँ
ख़ुश है
एक इंसां,
लिल्लाह!
रहने दे,
नादानियों की
बात ही क्या,
वो समझदारियाँ भी
रहने दे!
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