Tuesday, January 24, 2017

हाल

पूछते हैं वो हाल
बताओ क्या बतायें!

काँटों में ग़ुलाब
कीचड़ में कमल की तरह,

मोहलत में वक़्त की
ज़िन्दगी चढ़ते शबाब पर है।

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