Saturday, February 11, 2017

गूगल मैप्स

ज़ूम कर करके देखता हूँ
उस शहर का गूगल मैप,

हो हो रोमाँचित
देख उभरती
धीरे धीरे
हर वो बिसरी सड़क
चिंगारी है जिसका नाम
मेरी यादों के बारूद को!

आँखें फाड़
चिपका हूँ
लैपटॉप स्क्रीन से,
शायद दिख जाए
और ज़ूम की गहराइयों में
वो गली
वो नुक्कड़
वो घर
वो घर के बाहर का चबूतरा,
उस चबूतरे पर बैठी
ख़्यालों में मेरी राह देखती
मेरी वही
मुस्कुराती
बूढ़ी
अमर नानी!

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