Wednesday, February 15, 2017

ख़िलाफ़

बाज़ार
स्कूल
इबादतगाहों
रंगमंचों के
करीब देख लेते
कोई खाली जगह,

पास होते
अपनों के
तो उन्हें देखते रोज़
मन की आखों से,

रण्दोल के डरावने पीरुनाले में
शमशान बनाने के
ख़िलाफ़ थीं
रूहें भी!

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