साँसों की तितलियाँ
Saturday, March 25, 2017
गठरी
आज भी
'गर
तेरे
वही सवाल हैं,
ऐ मुसाफ़िर ज़हीन,
तेरी गठरी के
बेकार
सभी जवाब हैं!
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