तजुर्बे नाकाम भी होंगे माँगेंगे कीमत भी, पर देना,
जो न बनी बात तो देंगे ज़हानत का बोसा, जो सही बैठे तो नए दरवाज़े खोलेंगे!
No comments:
Post a Comment