चढ़ी दोपहर स्कूल में खोलते हैं जब टिफ़न बच्चे, बंधा पाते हैं फिर सुकून की सुबह का ताज़ा टुकड़ा,
माँ वालों के नित में सूरज कई बार है चढ़ता।
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