Wednesday, April 19, 2017

महफ़ूज़

मेरी सूरत पर थी
ज़माने की नज़र,
सीरत महफ़ूज़ थी,

तेरी खुदाई से ढकीं मैंने
बेशक़ीमती
परतें तेरे मानूस की...

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