Saturday, April 15, 2017

तितली

दिया था
जन्म
जिस तितली को
आपने,

सूख गए हैं
अब
उसके
रंग,

फड़फड़ा अपने पंख
चाहती है
अब उड़ जाना
बन्द क़िताब से उस,


ढूँढ
खोलो
माज़ी का वही वर्क़,
कर जाओ आज़ाद...

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