साँसों की तितलियाँ
Monday, June 12, 2017
शक़
मुझे
पहले ही शक़ था, दया!
कि कुछ तो गड़बड़ है,
वो शख़्स
हमेशा क्यों वहाँ है
जहाँ दुनिया नहीं!
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