Thursday, June 15, 2017

पुष्प

बस यही सोचकर
मैंने तुझे
मुड़कर नहीं देखा,
कहीं हो न जायें
अल्हड़पन की तेरी पंखुड़ियाँ
घबराकर बन्द
सचेत पुष्प की तरह...

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