साँसों की तितलियाँ
Wednesday, June 28, 2017
वज़ीर
वज़ीर ख़ान
तू व्यर्थ ही
नर्क गया,
सिक्खी के
साहबज़ादे ही
आज
चुनवाने को हैं
गुरु की बात
उसी के द्वार...
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