साँसों की तितलियाँ
Monday, June 26, 2017
चोला
मैले
घिसे
बदनसीब
चोले को जब
धोना
सवारना
करना रफ़ू
मुमकिन न रहा,
मुनासिब समझा
रूह ए सफ़र ने
चोला बदलना।
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