Thursday, June 15, 2017

सिसकियाँ

आज
वहाँ से टूट के लौटा हूँ
जहाँ से
जुड़ के लौटती हैं
रूहें,
मेरे बिखरने में
बिछड़ी कायनात की
सिसकियाँ हैं!

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