कहो तो चुनवा दें शहीदों को जो बच आये हैं हारी जंग से आपकी, इतने से भी 'गर तमाशाई प्यास न बुझे आपकी तो भटकाने आपके भीतरी खोखलेपन से आप ही का ध्यान बतायें मजबूर देश क्या करे...
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