कहाँ से निकला तीर कहाँ कहाँ से हो कहाँ जा लगा,
करे कौन घबराई रूह से न्याय न हुई जिसे पुष्टि एक युग तक, कि उसकी सोच की देह को कहाँ और कितना लगा, न लगा।
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