साँसों की तितलियाँ
Tuesday, August 8, 2017
आज सुबह
बजा
आज
कुछ इंस्ट्रुमेंटल
शब्दों को
रहने दे,
ऊँघने दे
रूह को,
आज
सुबह
रहने दे...
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment