साँसों की तितलियाँ
Tuesday, October 3, 2017
पगड़ी
शुक्र है
ख़ुद ही
उतार दी
कुकर्म से पहले
पगड़ी
उसने,
उसके मुखौटे
को
अभी तक थी शर्म,
न थी
बची
जिसमे!
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