Tuesday, October 3, 2017

गाँधी

जब भी दिखता है गाँधी
कभी बेन किंग्स्ले
कभी गोडसे
कभी पटेल नेहरु बोस
कभी अम्बेडकर
दिखता है,

भरा है विषाक्त विरोध से
किस क़दर मेरा ज़हन,
दिखता नहीं
हाड मास के निश्चय का निडर हौसला
जो बार बार
मेरी ही दरारों में कहीं छिपता है!

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