जब भी दिखता है गाँधी
कभी बेन किंग्स्ले
कभी गोडसे
कभी पटेल नेहरु बोस
कभी अम्बेडकर
दिखता है,
भरा है विषाक्त विरोध से
किस क़दर मेरा ज़हन,
दिखता नहीं
हाड मास के निश्चय का निडर हौसला
जो बार बार
मेरी ही दरारों में कहीं छिपता है!
कभी बेन किंग्स्ले
कभी गोडसे
कभी पटेल नेहरु बोस
कभी अम्बेडकर
दिखता है,
भरा है विषाक्त विरोध से
किस क़दर मेरा ज़हन,
दिखता नहीं
हाड मास के निश्चय का निडर हौसला
जो बार बार
मेरी ही दरारों में कहीं छिपता है!
No comments:
Post a Comment