Saturday, November 11, 2017

पृथ्वीराज

सोचा था
सुकून से होंगे
पृथ्वीराज चौहान
इस इत्मिनान में
कि रह सकेंगे वो
दिल्ली में
हमेशा
अपने नाम की सड़क पर,
औरंगज़ेब की तरह
बेघर न होंगे,

मगर नहीं।

हैं वो
बेचैन
उस सोच से
जो बह सकती है
अन बीते इतिहास में
कभी फिर
उलट!

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